यश भारती की पेंशन को लेकर पिछले दिनों उठी मांगों के बीच प्रदेश सरकार ने इसे नए नियमों के साथ देने का मन बना लिया है। इसमें मासिक पेंशन की राशि 50 हजार रुपये से घटाकर 25 हजार रुपये की जा सकती है। संस्कृति विभाग के सूत्रों की मानें तो जल्द ही इसकी घोषणा हो सकती है।
विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री कार्यालय ने विभाग के इन प्रस्तावों को हरी झंडी दे दी है। साथ यह नियम भी बनाया जा रहा है, यश भारती से सम्मानित जो भी लोग पहले से ही दूसरे विभागों व संस्थानों से पेंशन का लाभ ले रहे हैं, उन्हें इस पेंशन से वंचित रखा जाएगा। वहीं आयकर देने वाले यश भारती से सम्मानित लोगों को भी पेंशन का लाभ नहीं मिल सकेगा।
सूत्रों की मानें तो यश भारती पेंशन की प्रक्रिया पुन: शुरू करने के लिए सभी सम्मानित लोगों से निर्धारित प्रारूप में जानकारी मांगी जाएगी। इसमें उन्हें अपनी आय का विवरण, पेंशन से जुड़ी जानकारी व आयकर रिटर्न का विवरण देना होगा।
इसी आधार पर पेंशन के लिए चयन किया जाएगा। नए नियम सब पर लागू होंगे, चाहे उनकी पेंशन शुरू हो चुकी है या अभी शुरू नहीं हुई है। हालांकि पद्म पुरस्कार से सम्मानित लोगों को पेंशन देने के मामले में क्या नियम होंगे, इसकी जानकारी नहीं हो सकी है।
यश भारती पेंशन पर 9.11 करोड़ खर्च
आरटीआई एक्टिविस्ट नूतन ठाकुर को सूचना अधिकार के तहत उपलब्ध कराए गए अभिलेखों से पता चला था कि यश भारती और पद्म पुरस्कार से सम्मानित लोगों को मासिक पेंशन शुरू करने के बाद से अब तक 9 करोड़ 11 लाख 335 रुपये भुगतान किया जा चुका है। तत्कालीन संयुक्त निदेशक अनुराधा गोयल के 27 अप्रैल 2017 के पत्र के अनुसार वित्तीय वर्ष 2016-17 में कुल 172 लोगों को पेंशन दी गई।
भाजपा प्रवक्ता ने रोक के खिलाफ लगाई थी गुहार
पेंशन को लेकर साहित्यकार, कलाकार तो अभी हाल में सक्रिय हुए, लेकिन नई सरकार के गठन के बाद संस्कृति विभाग द्वारा यश भारती और पद्म अलंकरण से सम्मानित लोगों की पेंशन रोकने के खिलाफ भाजपा के प्रवक्ता ने ही सबसे पहले मुख्यमंत्री से गुहार लगाई थी।
यश भारती को लेकर सपा सरकार को अक्सर विपक्षी दल कठघरे में खड़ा करता रहा है, लेकिन भाजपा के पूर्व प्रदेश प्रवक्ता नरेंद्र सिंह राणा ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इसे पूर्व की भांति दिलाने की प्रार्थना की है। बता दें, राणा को पावरलिफ्टिंग के अंतरराष्ट्रीय कोच होने के कारण यश भारती सम्मान मिला है।