उत्तर प्रदेश सरकार आगामी वित्त वर्ष में किसानों के लिए ‘मुख्यमंत्री कृषक कल्याणकारी योजना’ लागू करेगी। सरकार ने किसानों के लिए चलाई जा रहीं मुख्यमंत्री दुर्घटना सहायता योजना, खेत-खलिहान अग्निकांड दुर्घटना सहायता योजना, कृषक उपहार योजना और कृषि छात्रवृत्ति योजना को मुख्यमंत्री कृषक कल्याणकारी योजना के तहत लाने का फैसला किया है।इन योजनाओं के नियम-कायदों में इस तरह से परिवर्तन के प्रस्ताव तैयार किए गए हैं, जिससे अधिकाधिक किसान परिवारों को इनका लाभ मिल सके। मंडी समिति के इस प्रस्ताव पर सरकार ने सहमति दे दी है। औपचारिक घोषणा फरवरी में पेश किए जाने वाले बजट में होगी।
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आग से फसल जलने पर किसानों को अब पहले से अधिक मुआवजा मिल सकेगा। हालांकि, इसकी गणना वास्तविक नुकसान के आधार पर होगी। नुकसान का आकलन जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित कमेटी करेगी। एक हेक्टेयर फसल जलने पर अधिकतम 30 हजार रुपये, 1-2 हेक्टेयर फसल जलने पर अधिकतम 40 हजार रुपये और उससे ज्यादा फसल जलने पर अधिकतम 50 हजार रुपये मुआवजा मिलेगा। रकबे के हिसाब से तय की गई अधिकतम राशि या वास्तविक नुकसान में से जो कम होगा, उतनी राशि का भुगतान किसान को किया जाएगा।
मौजूदा व्यवस्था में फसल जलने पर एक हेक्टेयर तक के किसान को 15 हजार रुपये, 1-2 हेक्टेयर तक के किसान को 20 हजार रुपये और दो से ज्यादा रकबे वाले किसान को 30 हजार रुपये का भुगतान किया जाता है। इसमें दिक्कत यह आ रही थी कि एक बराबर नुकसान होने पर भी किसानों को मुआवजे की राशि अलग-अलग मिलती थी। नई व्यवस्था में यह अंतर नहीं रहेगा। अभी तक घटना के 15 दिन के भीतर ही आवेदन करने पर योजना का लाभ मिलता था, पर अब इस अवधि को बढ़ाकर 90 दिन कर दिया गया है।
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